Friday, August 15, 2025

जय भोलेनाथ

हर भोले, बम बम भोले ,
महिमा जिनकी अपार ऐसे शिव-शंकर भोले दानी ।
सब पाप हरे, संताप हरे,
सबको देते हैं तार,ऐसे शिव शंकर भोले दानी।
सर्पकी माला, बाघ की छाला,पहन चले त्रिपुरारी ।
भाल पर चंदा,जटे में गंगा महिमा जिनकी न्यारी।
हाँ-हाँ जी महिमा जिनकी न्यारी।
नैया बोले,आकर भोले,लगाएंगे उस पार ।
ऐसे शिव शंकर ..........
उन्होंने छोड़ा, हाथी-घोड़ा, करते वृषभ सवारी।
टूटी मड़ैया, फूस की छैया, फिर भी दानी भारी।
हाँ,हाँ शिव फिर भी दानी भारी।
शरण जो आता, सब कुछ पाता धन-वैभव अपार,
ऐसे शिव -शंकर दानी भारी।
डमरू डम डम,नाचे छम छम,पीकर भंग मतवाला।
इनका न कोई पता ठिकाना सबके हैं रखवाला।
जो मान करें,जो ध्यान करे,शिव करते उसका उद्धार 
ऐसे शिव शंकर दानी भारी।
                   सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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