झूम-झूम झूम-झूम झूम -झूमकर।
पीकर भांग.....
कमंडल में है भांग धतूरा,और आंक का फूल।
डम डम डमरू बजा रहे हैं,चमक रहा त्रिशूल ।
ओढ़ कर बाघ की छाला घूमने चले बसहा वाला।
झूम-झूम झूम-झूम झूम-झूम कर.....
पीकर भांग की प्याला......
धरती घूमे अंबर घूमे और घूमे पाताल ।
तीन लोक में घूम-घूमकर देखें दुनिया का हाल ।
पहनकर नाग की माला घूमने चले बसहा वाला।
पीकर भांग की प्याला....
सब जीवों पर दयाभाव से किया जो दृष्टिपात ।
बिन पूछे हीअंतर्यामी समझे दिल की बात।
संकट सब की हर डाला,घूमने चले......
पीकर भांग की प्याला.....
सब लोगों के रोग हरे और हरे शोक-संताप।
धन-दौलत से परिपूर्ण कर,हर लिए सबके पाप।
उद्धार पापियों का कर डाला।
घूमने चले बसहा वाला।
झूम-झूम झूम-झूम झूम-झूम झूम-झूम कर
सुजाता प्रिय 'समृद्धि '
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