Tuesday, August 5, 2025

आनंद वन

आनन्द वन में हिंसक पशुओं का प्रवेश  वर्जित  था।इसलिए अन्य सभी पशु-पक्षी वहाँ  बड़े आनन्द से रहते थे।परंतु पास  के वन का एक भेड़िया  छुपाते-छुपाते वहाँ  प्रवेश कर जाता और अवसर  देख छोट-छोटे पशुओं को चट कर  जाता।इस कारण  सभी  छोटे-बड़े  पशुओं मे हड़कंप मच गया ।सभी पशुओं को अपनी जान बचाने की चिंता सताने लगी ।सभी अपनी गुफाओं एवं मांद में छुपे रहते ।तभी एक चतुर खरगोश ने सभी छोटे पशु-पक्षियों की एक सभा आयोजित की,और भेड़िया को पकड़ कर मारने की एक योजना बनाई ।दूसरे दिन योजनानुसार भेड़िया के आने वाले रास्ते में बड़ा-गड्ढा बनाया और वहांँ उसके ऊपर सूखी पत्तियां बिछा दी जिससे किसी को यह संदेह नहीं हो कि वहांँ गड्ढा है । फिर शाम ढलने से पहले पूरे वन में घूम-घूम कर यह घोषणा करने लगे कि - "डम डमा डम, डम डमा डम बंदरजी महाराज ! गिलहरी की शादी है,गीत गाने चलिए ।
           इस प्रकार वह वन के सभी पशुओं को बुलाया उधर भेड़िया उनकी घोषणा सुन फूला न‌ समाया ।उसने सोचा आज अच्छा अवसर है शादी में गीत गाने के लिए जाने वाले कुछ पशुओं को मार कर अथवा घायल कर दूं तो कुछ दिनों के लिए भोजन की व्यवस्था हो जाएगी।
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 नियत समय पर एक घने वृक्ष के नीचे कुछ पशु बैठकर अपनी-अपनी राग अलापने लगे। कुछ पशु टीले पर  उछल-उछल कर नाच रहे थे ।भेड़िया आव देखा- ताव। चुपके-चुपके छुपते-छुपाते हुए टिले की ओर बढा,  फिर उनके द्वारा खोदकर बनाए गए गड्ढे में गिरकर चिल्लाने लगा।उसे गड्ढे में गिरता देख कर आनंदवन के पशु एक साथ उस-पर टूट पड़े उसे नोच-खसोट कर इतना मारा कि वह चलने फिरने से भी लाचारहो गया उसकी यह दुर्दशा देख जंगल के अन्य बड़े-बड़े पशुओं ने भी आनंद वन की ओर आंँख उठाकर देखने की कोशिश नहीं की। अब आनंद वन के सभी पशु पक्षी फिर से आनंद के साथ रहने लगे ।
                   सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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