इस प्रकार वह वन के सभी पशुओं को बुलाया उधर भेड़िया उनकी घोषणा सुन फूला न समाया ।उसने सोचा आज अच्छा अवसर है शादी में गीत गाने के लिए जाने वाले कुछ पशुओं को मार कर अथवा घायल कर दूं तो कुछ दिनों के लिए भोजन की व्यवस्था हो जाएगी।
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नियत समय पर एक घने वृक्ष के नीचे कुछ पशु बैठकर अपनी-अपनी राग अलापने लगे। कुछ पशु टीले पर उछल-उछल कर नाच रहे थे ।भेड़िया आव देखा- ताव। चुपके-चुपके छुपते-छुपाते हुए टिले की ओर बढा, फिर उनके द्वारा खोदकर बनाए गए गड्ढे में गिरकर चिल्लाने लगा।उसे गड्ढे में गिरता देख कर आनंदवन के पशु एक साथ उस-पर टूट पड़े उसे नोच-खसोट कर इतना मारा कि वह चलने फिरने से भी लाचारहो गया उसकी यह दुर्दशा देख जंगल के अन्य बड़े-बड़े पशुओं ने भी आनंद वन की ओर आंँख उठाकर देखने की कोशिश नहीं की। अब आनंद वन के सभी पशु पक्षी फिर से आनंद के साथ रहने लगे ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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