Tuesday, December 26, 2023

नन्हे तरु की विनती (विजात छंद)

नन्हे तरु की विनती 
(विजात छंद)

लगा है द्वार में ताला।
लगा है जंग भी काला।

सुनाता हूंँ कहानी मैं।
बता बातें पुरानी मैं।

कभी उद्यान था अंदर।
बड़ा अच्छा यहांँ मंजर।

सभी घुमने यहाँ आते।
घड़ी भर बैठ सुस्ताते।

सुहानी भोर जब होती।
चमकती ओस की मोती।

महकती फूल की क्यारी।
तितलियांँ रंग की प्यारी।

किशोरी झूलती झूले।
मनाती आसमां छू लें।

समय लड़के बिताते थे
यहाँ उद्धम मचाते थे।

मनुज ने पेड़ को काटा।
धरा मरुभूमि में पाटा।

उड़ा मैं बीज तरुवर का।
छुपाया अंश तरुवर का।

जनम लेकर उदर ताले।
ललक जीने हृदय पाले।

मनुज मुझको बचा ले तू।
मुझे अपना बना ले तू।

सदा ही काम आऊंगा।
खुशी तेरी मनाउँगा।

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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