Monday, December 25, 2023

नेह-स्पंदित (गज़ल)

नेह स्पंदन (गज़ल)

तुम न मानो पर तुम्हीं से प्यार है।
तुम पे ही जीवन मेरा न्योछार है।

तुम हमारे दिल में बसते हो सदा,
तेरे दिल में ही ,मेरा घर - बार है।

जब भी तुम संग में मेरे रहते प्रिय,
मुझको तो यह, रंगीं लगे संसार है।

तुम हो जब नजरें उठाकर देखते,
लगता जहां का, मिल गया प्यार है।

दिल में होता नेह-स्पंदित सदा,
मन में होता, प्रेम का संचार है।

तुम रहो तो बात सब प्यारा लगे,
तुम से ही यह शोभता श्रृंगार है।

हम जहां में साथ ही जीते रहें,
साथ ही मरना हमें स्वीकार है।
        सुजाता प्रिय'समृद्धि'नेह स्पंदन (गज़ल)

तुम न मानो पर तुम्हीं से प्यार है।
तुम पे ही जीवन मेरा न्योछार है।

तुम हमारे दिल में बसते हो सदा,
तेरे दिल में ही ,मेरा घर - बार है।

जब भी तुम संग में मेरे रहते प्रिय,
मुझको तो यह, रंगीं लगे संसार है।

तुम हो जब नजरें उठाकर देखते,
लगता जहां का, मिल गया प्यार है।

दिल में होता नेह-स्पंदित सदा,
मन में होता, प्रेम का संचार है।

तुम रहो तो बात सब प्यारा लगे,
तुम से ही यह शोभता श्रृंगार है।

हम जहां में साथ ही जीते रहें,
साथ ही मरना हमें स्वीकार है।
        सुजाता प्रिय'समृद्धि'

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