Saturday, October 7, 2023

मेरे मन मंदिर में (घनाक्षरी)

मेरे मन-मंदिर में

ईश्वर का निवास है,
    और प्रेम का बास है,
        भरा हुआ उल्लास है,
            मेरे  मन - मंदिर में।

रहती सेवा-साधना,
   और सच्ची आराधना,
         मेल-मिलाप भी घना,
               मेरे  मन- मंदिर में।

प्रेम और  सद्भाव  है,
   दुष्प्रेम का आभाव है,
        न  कोई दुराभाव है,
             मेरे मन - मंदिर में।

सभी के लिए समता,
    सभी जीवों से ममता,
          प्यार नहीं है  कमता,
                मेरे  मन- मंदिर में।

               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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