बालिका दिवस (हाइकु)
मनाते हम करो प्रतिज्ञा
बालिका दिवस ले बालिकाओं की लज्जा
मन उमंग। नहीं हो भंग।
संतति यह बालिकाओं के
भी तो हमारी ही है जीवन में भर दें
हमारा अंग। अनेक रंग।
सिखाते सदा किसी हाल में
उनको हैं संस्कार अन्याय न हो पाये
बहुत ढंग। इनके संग।
ऊँची उड़ान करें न कोई
भरकर बालिका उन्हें राह चलते
करती दंग। कभी भी तंग।
तो क्यों बालिका न मानवता
निज रक्षा के लिए हो कभी शर्मसार
लड़ती जंग। न बदरंग ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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