Thursday, May 26, 2022

बेटी के कवन घर (मगही भाषा )



बेटी के कवन घर

कवन घर में जनमली बेटी दुलारी,
             कवन घर में होली स्यान।
कवन घर में बढली-पढ़ली गे बेटी,
         कवन घर में होयलो विवाह।

बाबा घर में जनमली बेटी दुलारी,
             वहीं घर में होयली स्यान।
बाबा घर में बढ़ली-पढ़ली गे बेटी,
          ससुर घर में होयलो विवाह।

हमर घरबा अउर हमर अंँगनमा,
               कही-कही झाड़े-बुहारे।
बुटी-कसिदबा से सजबै दलनिया,
             दुअरा पर फुलबा लगाबै।

होयते विवाह पराया होलै बेटिया,
            घरबा से छुटलै अधिकार।
घरबा के नाम अब भेलै नइहरबा,
          त्यागी देहो सब माया-मोह।

डोलिया पर बैठी जब गेलै ससुरालिया,
                  वहौं पराया व्यवहार।
हमर घर कहै सासु औ ननदिया,
                गोतनी कहे हमर राज।

मने-मने रोबै अब बेटी दुलरिया,
            अखिया में डब-डब लोर।
अइसन विधान काहे बनैला ये बिधि,
           बेटी के कउनो घर न ठौर।
             सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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