अपराजिता
Thursday, May 5, 2022
बेटियांँ
बेटियांँ (हाइकु)
मात-पिता की
राज दुलारी होती
हैं ये बेटियांँ।
अपने कुल
का सम्मान गौरव
ढोतीं बेटियांँ।
बेटों से कंधा
मिलाकर हैं चल
रही बेटियांँ।
बाहर देखो
पढ़ने भी निकल
रही बेटियांँ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
1 comment:
विश्वमोहन
May 6, 2022 at 6:34 AM
सच में बड़ी प्यारी होती हैं, बेटियां। बहुत सुंदर रचना।
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सच में बड़ी प्यारी होती हैं, बेटियां। बहुत सुंदर रचना।
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