मोर ससुराल गेंदा फूल
मत रो बापू -मैया,
मत रो दीदी-भैया!
मोर ससुराल गेंदा फूल।
ससुरजी मेरे पिता के जैसे देते मुझको प्यार।
सासु-माँ अपनी माता-सी करती मुझे दुलार ।
लख-लख लेते हैं बलैया,
सुन ले बापू और मैया!
मोर ससुराल गेंदा फूल।
सैंया हैं संतोषी,कमाबे जो रुपए हजार।
हाथ खोल कर खर्चा करता है जा बाजार।
रखता ना एक रुपया,
सुन ले बापू और मैया!
मोर ससुराल गेंदा फूल।
जेठजी बड़े भैया जैसे रखते मुझपर ध्यान।
देवरजी छोटा भाई जैसा करता है सम्मान।
ना चाहिए मुझे रुपया,
सुन ले बापू और मैया!
मोर ससुराल गेंदा फूल।
जेठानी बड़ी भाभी जैसी है मेरा मन बहलाती।
देवरानी छोटी भाभी जैसी कामों में हाथ बटाती।
चलती पकड़ कलैया,
सुन ले बापू और मैया!
मोर ससुराल गेंदा फूल।
बड़ी ननदिया दीदी बनकर, बढ़िया बात सिखाती।
छोटी ननदी नटखट बहना,पल-पल मुझे सताती।
नाच के ता-ता थैया,
सुन लो दीदी-भैया!
मोर ससुराल गेंदा फूल।
बड़ा ननदोई हँस-हंँसकर मजाक मेरा बनाते।
छोटा ननदोई चाय सिवा कुछ कहने में शर्माते।
शर्माती मैं दैया-री-दैया,
सुन ले दीदी और भैया!
मोर ससुराल गेंदा फूल।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
बेहद प्यारा लोक गीत 🙏
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