Monday, March 14, 2022

बेटियाँ

बेटियांँ

बेटे से कदम मिला कर देखो, चल रही हैं बेटियाँं।।
कंधे-से-कंधा मिला कर देखो,चल रही हैं बेटियाँ।।
माता पिता की हैं बेटियांँ प्यारी।
जगत की रचना यह सबसे न्यारी।
जननी बन मानव का वंश बढ़ा रही हैं बेटियाँ।।
घर के कामों को भी निपटाती है।
बाहर का भी यह काम बनाती है।
घर-परिवार का चिंतन-मनन कर रही हैं बेटियाँ।।
सिलाई-बुनाई ,कढा़ई-चित्रांकन।
करती है अभिनय, नृत्य-गायन‌।
लेखनकला में भी आगे देखो, बढ़ रही हैं बेटियाँ।।
नियम-कानून का न करें उलंघन।
तोड़ रही है जगत के झूठे बंधन।
मर्यादा का पालन भी देखो,कर रही हैं बेटियाँ।।
विद्यालय महाविद्यालय में पढ़ती।
जीवन की अच्छी राह भी गढ़ती।
पैसे कमाने अच्छी नौकरी देखो, कर रही है बेटियाँ।
हर क्षेत्र में है पहचान बनाती।
खेल -कूद में भी आगे जाती।
अंबर में ऊँची उड़ान भी देखो,भर रही हैं बेटियाँ।
राजनीति में अपना पैर जमाती।
शिक्षा-स्वास्थ्य में अलख जगाती।
पुलिस-प्रशासन की बागडोर पकड़ रही हैं बेटियाँ।।
             सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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