Monday, March 21, 2022

पहली कविता

पहली कविता

जिसको मैंने रोज संवारा,
  जिसको मैंने रोज निखारा,
    जिसे रचाई मैं वर्षों तक,
      जिसे सजाई मैं अर्सों तक,
         वह मेरी पहली कविता है।

करनीय कार्य में आनेवाली,
  तुकबंदी सिखलानेवाली,
    कोशिश करना हमें सिखाया,
       कविता रचना हमें सिखाया,
         वह मेरी पहली कविता है।

जिसने बर्बाद किए कई पन्नें,
   जिसने स्याह किए कई पन्नें,
     कलम चला थक जाती थी मैं,
       क्या लिखूँ समझ न पाती थी मैं,
            वह मेरी पहली कविता है।

जिसमें वर्तनी दोष बहुत थे,
  पर्यायवाची शब्दकोष बहुत थे,
     अशुद्धियों का भंडार था उसमें,
    .    त्रुटियोंं की भरमार थी जिसमें,
          वह मेरी पहली कविता है।

             सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
     स्वरचित, सर्वाधिकार सुरक्षित

6 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-3-22) को "कविता को अब तुम्हीं बाँधना" (चर्चा अंक 4376 )पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. जी बहुत सुंदर
    सभी के भाव कह दिए आपने

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  3. पहली कविता पर लिखना नई बात है ।
    सारी कमियों या सीमाओं को गिनाना और भी अनूठा है ।
    आत्ममंथन है । अभिनंदन ।

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  4. पहली कविता पर आत्म मंथन और सहजता से स्वीकार करना कि कैसे बनी वो पहली कविता जो काव्य जगत में आने का आधार बनी।
    बहुत सुंदर।

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  5. अहा! यही पहली कविता सब कविताओं पर भारी पड़ती है प्रिय सुजाता जी। भावों से भरी सुन्दर रचना।बधाई और शुभकामनाएं ❤❤

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