Thursday, December 30, 2021

चुगली

चुगली

चुगलखोर जब-तक न चुगली करे,
जब-तक उसका उदर ना भरे।
इधर से उधर वह मारा फिरे।
भटककर-अटककर किसी की सदा,
किसी-न-किसी से शिकायत करे।

जनों को जनों से लडा़ते चले,
नमक-मिर्च बातों में वह लगा।
चुगली-विधा में महारत उसे,
महाज्ञानी-शातिर वह है भला।
कानाफूसी सबसे सदा ही करे,
अपनापन का हमेशा दम है भरे।
चुगलखोर जब -तक न चुगली करें,
जब-तक उसका उधर न भरे।

दूजे के घर महाभारत मचा,
मधुर वाणियों से मन बहला।
मीठी-जहर का चूरण खिला,
लड़ाता अपनों से मतभेद करा।
भाई को भाई से लड़ाई करा।
बक-झक पति-पत्नी में करा।
चुगलखोर जब तक न चुगली करे।
जब-तक उसका उदर न भरे।

मानव का चुगली बड़ा रोग है,
जिसका कहीं भी न होता इलाज।
वैद्य-ओझा भी कुछ न करें,
चिकित्सक भी कहते है लाइलाज।
बनाते हैं रिश्ते में सदा वे दरार।
बिना फीस के हैं न पाते पगार।
चुगलखोर जब तक न चुगली करे,
तब तक उसका उदर न भरे।
               सुजाता प्रिय समृद्धि
                 स्वरचित, मौलिक

3 comments:

  1. 😀😀😀 बहुत खूब प्रिय सुजाता जी 👌👌👌 चुगलखोरों की खूब खबर ली आपने। हकीम लुकमान भी हाथ खड़े कर दे इनके ईलाज में 😀 बहुत बढ़िया प्रस्तुति है आपकी। रचनाकेलिएढेरों बधाई ।नव वर्ष मंगलमय हो यही कामना और दुआ है।🙏🌷🌷❤️❤️

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  2. मानव का चुगली बड़ा रोग है,
    जिसका कहीं भी न होता इलाज।
    वैद्य-ओझा भी कुछ न करें,
    चिकित्सक भी कहते है लाइलाज।
    बनाते हैं रिश्ते में सदा वे दरार।
    बिना फीस के हैं न पाते पगार।
    चुगलखोर जब तक न चुगली करे,
    तब तक उसका उदर न भरे।
    👌👌👌👌👌
    🙏🌷🙏🌷🙏🌷😀😀😀😀

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