जय मां कालरात्रि
सप्तम रूप शोभिता,शुभ भाव धारिणी।
जयंती जयप्रदा तथा मां कालरूपिनी।।
कालिके,काली कालरात्रि,काल कपालिनी ।
कालिका कपालिनी रकतपुष्प मालिनी।।
दुष्ट दलनकारिनी सदा ही सिंहवाहिनी।
भयं रूप भयंकरी भूतादि भयहारिणी।।
महा स्वरुप महाप्रदा गृहे-गृहे निवासिनी।
ददाति दानरूपिनी दारिद्र- दुखहारिनी।।
तंत्र-मंत्र से समस्त प्राणियों को तारिनी।
महारुपेण महाज्वला नमामि विंध्यवासिनी।।
विनय विवेक ले सदा हो कपालधारिनी।
भूत-प्रेत मिले कभी लगे उसे डरावनी।।
खड़ाखड़ाती खड्ग ले खड़ी खप्पर धारिनी।
तंत्र- मंत्र धारिनी, सर्वत्र सिद्धि कारिणी।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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