Friday, May 31, 2019

मौलिक कर्त्तब्य निभाएँ हम

प्रदूषण   दूर  भगाएँ   हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

स्वचछ बनाएँ अपनी धरती।
गोद बैठा जो पालन करती।
कूड़े-कचरे ना फैलाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

जल है जीवन समझो भाई।
नदी- ताल की करो सफाई।
गंदगी ना इस में बहाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

स्वच्छ रखेंगे जब हम वायु।
तब हम होंगे निरोग ,दीर्घायु।
धुआँ न कहीं  फैलाएँ  हम ।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

ध्वनि- विस्तारक नहीं लगाएँ।
शांति से सदा उत्सव  मनाएँ।
बहरापन  दूर   भगाएँ    हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ  हम।

वैचारिक प्रदूषण  दूर भगाएँ।
उँच - नीच  का  भेद  मिटाएँ।
सबको   गले  नलगाएँ   हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।
                     सुजाता प्रिय

6 comments:

  1. सबको गले लगाएँ हम।
    मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

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  2. पाँच लिकों के आनंद में मेरी रचना को साझा करने के लिए धन्यबाद स्वेता।

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  3. स्वच्छ रखेंगे जब हम वायु।
    तब हम होंगे निरोग ,दीर्घायु।
    धुआँ न कहीं फैलाएँ हम ।
    मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

    बहुत बढ़िया सन्देश ,सादर

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    1. जी बहन धन्यबाद सादर आभारी हूँ।

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  4. अच्छा संदेश प्रसारित करती सहज रचना।

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    1. धन्यबाद बहन।साभार

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