Tuesday, June 6, 2023

संघर्ष करते जाएँगे (कविता)

संघर्ष करते जाएँगे

संघर्ष करना है धर्म हमारा, संघर्ष करते जाएँगे।
संघर्ष करना पड़े कभी तो,तनिक नहीं घबराएंँगे।
संघर्ष करना धर्म हमारा.........
संघर्ष करने वाले ही जन,पाते हैं मंज़िल भाई।
संघर्ष से ही हट जाती,जीवन की मुश्किल भाई।
मेहनत जितना करना हो,सहर्ष करते जाएँगे।
संघर्ष करना धर्म हमारा............
धैर्य भाव और हिम्मत से,अपना काम निकालेंगे।
मेहनत को मुकाम बनाकर, बिगड़ी बात संभालेंगे।
असफलता को धूल चटा,उत्कर्ष करते जाएँगे।
संघर्ष करना धर्म हमारा........
इमानदारी की राहों पर,हम अपना कदम बढ़ाएंँगे।
ठोकरों को ठेल कदम से,हम आगे बढ़ते जाएँगे।
प्रति दिन, प्रति माह,औ प्रति वर्ष करते जाएँगे।
संघर्ष करना धर्म हमारा..........
लेकर दृढ़ विश्वास हृदय में,अपनी राह बनाएँगे।
अपने सुंदर आचरण से, धरती पर स्वर्ग बसाएँगें।
सारे कर्म जनहित के,हम संदर्श करते जाएंँगे।
संघर्ष करना धर्म हमारा.............
 
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

4 comments:

  1. धैर्य और हिम्मत का अद्भुत संदेश देती प्रेरणादायक रचना

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  2. जी बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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  3. एक बार मेरी चित्रमेल कहानी पढ़कर भी अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया देने की कृपा करें।सादर

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  4. एक बार मेरी चित्रमेल कहानी पढ़कर भी अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया देने की कृपा करें

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