आशा ( कृपाण घनाक्षरी )
भूख लगी हो जोर से, मेवा-मिष्ठान भी खाइए,
रूखी सूखी भी खाइए,तो भूख मिट जाएगी।
प्यास लगी हो जोर से, शर्बत-छाछ पीजिए,
ठंडा पानी भी पीजिए,तो प्यास मिट जाएगी।
नींद आई हो जोर से,तोसक लगा सोइए,
या दरी बिछा सोइए,नींद पूरी हो जाएगी।
आस हो किसी बात की, प्यार या मुलाकात की,
जब तक पूरी न हो, आशा ही नहीं जाएगी।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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