Thursday, June 15, 2023

चलो फिर से बचपन जीते हैं

चलो फिर से बचपन जीते हैं

चलो फिर से बचपन जीते हैं।
रेत को घोलकर शर्बत पीते हैं।

गुड्डे-गुड़ियों का ब्याह रचाते हैं।
सखियों को समधन बनाते हैं।
कतरनें जोड़कर लहंगा सीते हैं।
चलो फिर से बचपन जीते हैं।

पत्तों की पूरियां,बना लें हम।
छिलके की बनाएं आलूदम।
याद कर लें जो दिन बीते हैं।
चलो फिर से बचपन जीते हैं।

पेड़े बना लें फिर से मिट्टी के।
और मुरब्बे बना लें गिट्टी के।
कलाकंद में  घीसे पपीते हैं।
चलो फिर से बचपन जीते हैं।
              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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