जय श्री राम राजा की,अयोध्या धाम की जय हो ।
राम का नाम लेने से,जगत का जीव निर्भय हो।।
पिता की आज्ञा पालन को,गए वनवास खुश मन से।
न मन में कोई दुख लाए,न हुए निराश जीवन से।।
किसी के नाम से पहले,राम का नाम तुम लेना।
घड़ी दो-चार तुम लेना,सुबह औ शाम तुम लेना।।
जी मर्यादा का जीवन,पुरुष उत्तम बने जग में।
झेलते कष्ट खुश मन से,गति भी लाते थे पग में।।
दुख जो आए जीवन में,उसे वे दूर करते हैं।
सुख को जल्दी आने को,सदा मजबूर करते हैं।।
जपो मन नाम रामा का,सीता माँ का भी भज लो।
याद कर नाम दोनों का,व दोनों का चरण रज लो।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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