Thursday, April 13, 2023

प्यार की फुहार में

प्यार की फुहार में 

चल रे साथी हम नहाएँ,प्यार की फुहार में।
जिसमें मन निर्मल हो जाए,उस नदी की धार में।
चल रे साथी......................
प्रेम की दरिया बड़ी है,चल लगा लें डुबकियाँ।
मन के सारे मैल धो लें,स्वच्छ मन कर लें यहाँ।
पार कर लें प्रेम दरिया,रुकें नहीं मझधार में।
चल रहे साथी......................
प्यार का गहरा समंदर,प्रीत के गोते लगा।
प्रेम-मोती बीन लें,दुष्प्रेम की सीपी हटा।
प्रीति धागे में पिरो लें,मोतियों को हार में।
चल रहे साथी......................
प्रीति पर्वत से है झरता, प्रेम का निर्झर सदा।
साथ अपने है बहाता,विद्वेष का पतझड़ सदा।
जिसमें कोई छल नहीं है,बह लें उस उद्गार में।
चल रहे साथी......................
प्रीत है एक झील गहरी,जिसके मन में धीर है।
शांत-चित से प्रेम करता,हृदय बड़ा गंभीर है।
झूठ का हलचल नहीं है,सच्चाई जिसके प्यार में।
चल रे साथी...............
                 सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
                   स्वरचित, मौलिक

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