सुख दुःख
यह जीवन सुख-दु:ख का संगम,
भाई मत घबराओ।
दुःख आए तो हँंसकर झेलो,
सुख में मत इतराओ।
सुख की चाह तुझे अगर है,
सुख सबको देता जा।
इसके बदले में लोगों से,
आशीष सदा लेता जा।
सुख और दुःख तो है भाई,
पहलू दो जीवन के ।
पीछा करता करवटें बदल,
जग के प्राणी जन के।
दिन का उजाला सुख देता,
फिर आता है अंधेरा।
काली रात जब कट जाती,
आता है नया सवेरा।
वैसे छट जाती दुःख की बदली,
और सुख आता है।
सुख की चमकीली किरण से,
जीवन चमक जाता है।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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