गणेश वंदना (विधाता छंद)
गजानन जी पधारो तुम,हमें बस आस तुम पर है।
अभी आजा हमारे घर, तुझ बिन न शोभता घर है।।
भला किसको बुलाऊंँ मैं,मुझे बस आस है तेरी।
जरा आकर नजर फेरो,करो ना आज तुम देरी।।
लगाकर कूश का आसन,बिठाऊँ आपको उसपर।
नहाकर साफ जल से मैं, सजाकर रेशमी चादर।।
लगाऊंँ भाल पर चंदन,चढ़ाऊँ फूल की माला।
लगाऊंँ भोग लड्डू का,पिलाऊँ दूध का प्याला।।
चरण तेरे पडूँ देवा,जरा मुझ पर दया करना।
अगर पथ में रुकावट हो,सुनो उसको अभी हरना।।
बना दो आज बिगड़ी तुम,मिटा दो क्लेश सब मन की।
पकड़ पतवार हाथों से,उबारो नाव जीवन की।
मुझे आशीष दो इतना,सभी पूरी मनोरथ हो।।
मुझे मंजिल मिले मेरी,रुके कोई नहीं पथ हो।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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