मेघा ( जलहरण घनाक्षरी )
देखो बादल आया है,
आसमान में छाया है।
सबका जी हर्षाया है,
गरज-गरज कर।
सावन की बहार है,
बादलों के पार है।
पड़ रही फुहार है,
झमक -झमक कर।
बरस रहा जोर से,
देखो तो चारों ओर से।
छाकर घनघोर से,
टपक-टपक कर।
मेघा जब भी आती है।
सभी जनों को भाती है।
नयी उमंग लाती है।
हरस-हरस कर।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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