Wednesday, October 20, 2021

पत्र पेटी (लघुकथा )

हाथ में दो दर्जन पोस्ट-कार्ड लिए करुणा बड़ी तेजी से डाक घर की ओर बढ़ी जा रही थी। बाजार आते वक्त मां जी ने उन्हें उसके हाथों में थमाते हुए कहा-डाक घर जाकर इन पत्रों को पत्र पेटी में डाल देना।अब बस दस दिन ही शेष हैं।पत्र मिलने में देर होगी तो सभी लोग शिकायत करेंगे। उसने उन चिट्ठियों पर सरसरी नजरें डाली। सभी चिट्ठियों में अशीष, प्रणाम और हाल समाचार के बाद लिखा था-दस दिनों बाद मेरी दूसरी आंख का आपरेशन होने वाला है। जल्द-से-जल्द आने की कोशिश करो।
पते पर नजरें दौड़ाई। सभी चिट्ठियों पर मां जी के भाई- बहन, भतीजे-भतीजियों, बेटियों आदि के पते लिखें थे।वह सोचने लगी ,उनके रहने एवं खाने-पीने की व्यवस्था भी तो करनी है।उसे याद है मां जी की पहली आंख का आपरेशन के समय मां जी के मायके के लोग आए थे तो अलग से रसोइया रखना पड़ा था।ऊपर से वह स्वयं सभी लोगों की सेवा- सुश्रुषा एवं आवभगत में लगी रहती थी। फिर भी सभी लोग उसकी निंदा करते रहते,ताने देते रहते।अलसी,निकम्मी,अलहेली, बेवकूफ,मुंह जोर आदि कितनी उपाधियां उसे प्रदान किया गया था।उन पुरानी बातों को याद कर उसके तन-मन में आग लग गयी।रोगी से ज्यादा देख-रेख और सेवा तो रोगी को देखने आने वालों की करनी पड़ती है। कोई सेवा या मदद के लिए थोड़े ना आते हैं।मेहमानी भी होती है और काना-फूसी भी करते हैं। इलाज और आपरेशन से ज्यादा पैसा तो रिस्तेदारों ंंके आवभगत में खर्च हुए थे।
  इन विचारों में डूबी वह डाक घर के पास पहुंच गयी।उसी समय कचरे ले जाने वाली गाड़ी पत्र पेटी के पास आकर रुकी।वह उस गाड़ी के हटने का इंतजार करने लगी। अचानक उसकी नज़र कचरे वाली गाड़ी के डब्बों पर पड़ी ।वह हरे डब्बों में सारी चिट्ठियों को डालने लगी। कचरे ले जाने वाले ने उसे नासमझ समझते हुए कहा- उधर है पत्र-पेटी।इन चिट्ठियों को उसमें डालिए। लेकिन करुणा ने तेजी से उन चिट्ठियों को कचरे के डिब्बे में डालते हुए कहा- इन चिट्ठियों की पेटी यही है। चिट्ठियां ना मिलने की शिकायत अवश्य रहेंगी। किन्तु हमारे और उन सभी लोगों के पैसे और समय की बचत होंगी।साथ में परेशानियों से भी मुक्ति मिलेगी।
बेचारा कचरे वाला आवाक उसका मुंह देखता रह गया।गीले कचरे में भींग सारी चिट्ठियां गीली हो गईं थी, और करुणा राहत की सांस लेते हुऐ बाजार की ओर बढ़ गयी।
                                    सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
                                       स्वरचित, मौलिक

3 comments:

  1. जी भाई! बहुत-बहुत आभार

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  2. बहुत सही और सटीक विषय उठाया है आपने

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  3. जी हार्दिक धन्यवाद सखी ❤️😀

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