Monday, June 7, 2021

जीवन बड़ा अनमोल



जीवन बड़ा अनमोल,
प्राणि मधुर-मधुर बोल।
सभी से रख मेल-जोल।
प्राणि मधुर-मधुर बोल।

जब भी अपने मुख को खोलो।
सब जन से,मीठी बोली बोलो।
वाणी की कर मधुर रस लेपन,
बोली में मिश्री घोल,
प्राणि मधुर-मधुर बोल।

हर जीव पर दया तुम करना।
दीन-दुखियों का संकट हरना।
काम-क्रोध और लोभ-मोह का,
झूठा ये बंधन खोल,
प्राणि मधुर-मधुर बोल।

कौड़ी-कौड़ी धन को जोड़ा।
महल बनाया लम्बा- चौड़ा।
धन दौलत का गर्व न करना,
इसका न कोई मोल,
प्राणि मधुर-मधुर बोल।

यह जीवन इक नाव पुरानी।
पुरवाई है चल रही तुफानी।
कालचक्र के भवसागर में,
डगमग रहा है डोल,
प्राणि मधुर-मधुर बोल।

जीवन तेरा कहीं व्यर्थ न जाए।
तेरे कारण सब जन सुख पाए।
तेरे बाद भी तुझसे जन पाए,
तेरे ज्ञान की गठरी खोल,
प्राणि मधुर-मधुर बोल।

        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
          स्वरचित, मौलिक

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