Wednesday, June 23, 2021

रुको नहीं आहत होकर तुम

रुको नहीं आहत होकर तुम (गीतिका)

हे पथिक बढ़ते चलो तुम।जिंदगी के रास्ते।।
मन कभी विचलित न करना।छोड़ने के वास्ते।।

माना पथ मुश्किल बढ़ी है।राह को मत छोड़ना।।
जीवन के दुर्गम पथों से।मुख कभी न मोड़ना।।

राह में कंटक मिले तो।रौंद उसको बढ़ चलो।।
हौसला रखकर हृदय में।पर्वतों पर चढ़ चलो।

मन पराजित मत करना।हिम्मत नहीं तुम हारना।।
प्रपंच से आहत न होना।मन में रखो धारना।

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

24 comments:

  1. आपकी लिखी रचना आज ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बृहस्पतवार 24 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार दी जी!सादर नमस्कार।

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  2. प्रेरक रचना दीदी।
    सादर।

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  3. बहुत सुंदर प्रेरणास्पद रचना 🙏

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  4. प्रेरणादायक रचना।

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  5. सादर धन्यवाद सखी!

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  6. बहुत सुंदर रचना

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  7. राह में कंटक मिले तो।रौंद उसको बढ़ चलो।।
    हौसला रखकर हृदय में।पर्वतों पर चढ़ चलो। ज़िन्दगी में हौसला बढ़ाने की प्रेरणा देती सुंदर रचना ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  8. माना पथ मुश्किल बढ़ी है।राह को मत छोड़ना।।
    जीवन के दुर्गम पदों से।मुख कभी न मोड़ना।।---बहुत गहरी रचना...।

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  9. राह में कंटक मिले तो।रौंद उसको बढ़ चलो।।
    हौसला रखकर हृदय में।पर्वतों पर चढ़ चलो
    बहुत ही सुन्दर प्रेरणादायक गीतिका
    वाह!!!

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  10. बहुत सुंदर प्रेरक प्रस्तुति

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  11. सुन्दर प्रेणादायक रचना।

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