Wednesday, June 16, 2021

मैं भी हूं एक हुनर वाली (चित्र -आधारित रचना)



हां मैं भी हूं एक हुनरवाली।
बुनती डलिया-सूप निराली।

इस विद्या में मुझे महारथ ।
मिला है जन्मजात विरासत।

इस कला में हमें निपुणता।
इसपर मेरी आत्मनिर्भरता।

बना कमाचियां बांस की मैं।
धरती की लम्बी घास की मैं।

भांति-भांति देकर आकार।
करती हूं मैं  सपने साकार।

रोज बनाती हूं सूप-टोकरी।
हाथ हमारे बने गये फैक्ट्री।

कहीं नहीं आना - जाना है।
घर में ही बैठकर बनाना है।

यह  है हमारा स्वरोजगार।
पा लेती हूं मैं उचित पगार।

 कभी नही़ बैठती हूं बेकार।
ना ही मानती कभी मैं हार।

भरकर मन में आत्मविश्वास।
आत्मसम्मान और उल्लास।

स्वरोजगार ही हमारी शान है।
यह तो अपना स्वाभिमान  है।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 17 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. "इस विद्या में मुझे महारथ ।
    मिला है जन्मजात विरासत।" - ...
    बहुत ही पैनी नज़रों की सूक्ष्म चिंतन ने तथाकथित गंदी बस्ती (Slum area) के आत्मनिर्भर स्वरोजगार वाले अदृश्य कलाकारों को अपने शब्द-चित्र में पाठकों के समक्ष प्रदर्शित किया है ...
    【जिन्हें हम तथाकथित "अछूत" कहते जरा भी नहीं शरमाते या हिचकते, क़माल है कि उनके हाथों की कलाकारी की पैठ हमारे तथाकथित "अमनिया" (धार्मिक दृष्टिकोण से शुद्ध) रसोईघर तक है .. शायद ...】 ...

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  3. इस विद्या में मुझे महारथ ।
    मिला है जन्मजात विरासत।

    इस कला में हमें निपुणता।
    इसपर मेरी आत्मनिर्भरता।

    वाह क्या आत्म विश्वास आए भरपूर कृति
    सुंदर सृजन

    सादर

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  4. बहुत अच्छी रचना है...।

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  5. हस्तकला निपुण श्रमणी का सुंदर चित्रण।

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  6. सादर धन्यवाद

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