राष्ट्र कवि दिनकर के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
विश्व कवि दिनकर के,
जयंती पर आज वंदन मेरा।
बिहार के पूत, भारत के सपूत।
काव्य की विद्या जिनमें अकूत।
कविवर वीर रस के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
राष्ट्र कवि दिनकर के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
मनरूप माता,रवि सिंह पिता।
सिमरिया गाँव के कृषक बेटा।
नाम किए जग भर में,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
राष्ट्र कवि दिनकर के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
राष्ट्रीय भाषा हिन्दी के नभ पर।
उदयमान हुए बनकर दिनकर।
ओजपूर्ण हुंकार भर के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
राष्ट्र कवि दिनकर के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
रश्मिरथी,कुरुक्षेत्र,उर्वशी लिखे।
संस्कृति के चार अध्याय लिखे।
धरोहर भारत के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
राष्ट्र कवि दिनकर के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित (मौलिक)
बहुत सुंदर। नमन।
ReplyDeleteजी सादर धन्यबाद
Deleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 25-09-2020) को "मत कहो, आकाश में कुहरा घना है" (चर्चा अंक-3835) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
जी सादर धन्यबाद एवं आभार मेरी रचना को साझा करने के लिए।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसादर धन्यबाद सखी।
ReplyDeleteरश्मिरथी,कुरुक्षेत्र,उर्वशी लिखे।
ReplyDeleteसंस्कृति के चार अध्याय लिखे।
धरोहर भारत के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
बहुत ही सुंदर रचना सुजाता जी,दिनकर जी को सत-सत नमन