आदिशिल्पी भगवान विश्वकर्मा का पूजन का मुहूर्त आज प्रातः१०:१९ बजे से था।पूर्व की तरह हर स्थान पर पूजन पूरे हर्ष के साथ मनाया गया लेकिन उल्लास का सर्वत्र आभाव दिखाई दिया।अधिकांश जगहों पर बड़ी-बड़ी प्रतिमा के स्थान पर छोटी मूर्ति अथवा चित्र स्थापित कर पूरी सादगी से पूजा किया गया। एहतियात के तौर पर कम भीड़ एवं आपसी दूरी बनी रही। महाभोग वितरण नहीं होने की सूचना के साथ थोड़े- से मुंगफली इलाइची दाने के प्रसाद बाँटे गए। मेले के तौर पर कहीं-कहीं गुब्बारे खिलौने बाले सड़कों पर घूमते नजर आये।अधिकांश घरों में बच्चे सज- सँवरकर पूजा में जाने की जिद्द करते और अभिभावक अपने बच्चों को जाने से रोकते हुए पाये गए।
कोरोना के कारण पूजा का स्वरूप पूरा बदला-बदला नजर आया।कल खारखानों में भी पूजा की मात्र रस्म अदायगी की गई।वाहनों के परिचालन बंद रहनें से वाहनों की भीड़ सड़क पर ना होकर मैदानों एवं घरों के आगे ज्यादा दिखी।फल वाले ठेले पर फलों को सजाकर मक्खियाँ मारते नजर आए।मिठाइयों की दुकानों पर पसरे सन्नाटें को मक्खियों ने अपनी भिनभिनाहट से तोड़ा।बची-खुची खबरें अगले समाचार में।
'अभी तक 'राँची से
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
Thursday, September 17, 2020
आखों देखी
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