Saturday, March 21, 2020

चहुँ ओर मिलावट दिखती है

हम जन मानस के जीवन में,
चहु अोर मिलावट दिखती है।
वसन-वस्तुओं, रिस्ते-नातो में,
घनघोर मिलावट दिखती है।

मिलना- मिलाना है बात भली।
है मेल-जोल की सौगात भली।
मेल-जोल मिलाप रखने में भी,
अब घोर मिलावट दिखती है।

घी-तेल में मिलावट है शानी।
दूध-छाँछ में है मिलता पानी।
क्या कहूँ अब तो पानी में भी,
पुरजोर मिलावट दिखती है।

मिलावट आटे,चावल,दालों में।
और नमक मिर्च मसालों में।
अब सारे खाद्य सामानों में।
बेजोड़ मिलावट दिखती है ।

सब्जियाँ को हरे रंग से रंगते।
फलों में पानी-शर्बत भरते।
दवा-दारु और दुकानों में,
बलजोर मिलावट दिखती है।

राजनीति की बात भी क्या।
है सत्ता की विसात भी क्या।
दलबदलुओं की दूसरे दल से,
गठजोड़ मिलावट दिखती है।

मिलावट का यह दौर चला।
इस पर करते क्यों गौर भला।
यहाँ रक्षक और रक्षापालों में।
रण छोड़ मिलावट दिखती है।
                 सुजाता प्रिय

7 comments:

  1. प्रिय श्वेता ! मेरी रचना को सोमवारीय विशेषांक में साझा करने के लिए हृदय तल से सुक्रिया।

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  2. वाह!सखी ,बहुत खूब!सच है ,मिलावट चारों ओर है ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सादर

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  3. कोई चेतना मैदान में तो हो।
    बहुत विचारी गयी रचना।

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    1. सादर धन्यबाद एवं आभार आपका भाई।

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  4. बहुत शानदार रचना सुजाता जी

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  5. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।

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