शरण में आई हूंँ।
मैं तेरी दासी,दर्शन प्यासी, बहुत उदासी आज।
शरण में आई हूंँ।
कष्ट हरो मांँ भक्त जनों के जीवन आज सुधारो।
अष्ट भुजा मांँ दुख- सागर से नैया पार उतारो ।
सुनो मांँ नैया पार उतारो ।
सब सुख करनी,सब दुख हरनी उतारो तरणी आज
शरण में .........
संकट हरणी नाम तुम्हारा,सबके संकट हरती।
महिमा तेरी बड़ी निराली,सबको समृद्ध करती ।
हांँ हांँ मांँ सबको समृद्ध करती।
बिगड़ी बनाओ, पाप मिटाओ, कर दो कृपा आज।
शरण में............
तेरे सिवा नहीं कोई मेरा किसके द्वार मैं जाऊंँ।
हे जगतारणी तू बतला दे,किसको व्यथा सुनाऊँ।
कहो मांँ किसको व्यथा सुनाऊँ।
सब दुःख हरनी, सब सुख करनी हे कष्टहरनी आज। शरण में आई हूंँ।
जय मांँ अम्बे.......
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