Wednesday, June 5, 2024

धरती कहे पुकार



धरती कहे पुकार 

  देख लो तुम
यह रेगिस्तान में,
   भरा है रेत।

     बन रहे हैं
देखो ऐसे ही अब
    हमारे खेत।

    दूर-सुदूर
दिख रहा है यहाँ
  एक ही पेड़।

    तुम मानव ,
ने बर्वाद है किया
   है हमें छेड़।

    अगर तुम 
एक-एक पेड़ भी
   यहाँ लागते।

   बसुंधरा के
आंचल में कुछेक 
  पेड़ सजाते।

  स्वच्छ रहता
पर्यावरण यहाँ
  हम हँसते।

   सूखता नहीं 
नल कूप,न पानी
   को तरसते 

सुजाता प्रिय समृद्धि

3 comments:

  1. अब भी नहीं जागा मानव तो पारा और चढ़ेगा

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