Friday, June 28, 2024

अनुराग (सवैया)

अनुराग (सवैया)

जो मन में अनुराग धरो तुम, 
                 चाहत जो तुमको वह पाओ।
जो मन चाह रहा उसको अब, 
                 पाकर संग खुशी अपनाओ।।
रे मन मौज करो न अभी तुम, 
                 जाकर आज यही समझाओ।
जाग अभी तुम ऐ मन मूरख,
                 सोबत हो अब नींद भगाओ।।

जीवन का सब आस यहाँ पर,
                   पूरण हो तुम जोर लगा लो।
काम करो अपने मन माफिक,
               लेकिन आज नहीं यह टालो।।
के विधि से यह काज बना नहिं,
              आज जिया तुम आन बसा लो।
जो बिगड़े अब काज यहाँ पर,
               धैर्य धरो उसको सुलझा लो।।

जो मन ने तुमको समझा यह, 
                     बात वही सच है यह जानो।
उद्यम जो करते जुगती कर,
                   सिद्ध करें सब कारज जानो।।
सोच मनोरथ पूर्ण करे वह, 
                       साधन तो उसने यह मानो।
ध्यान रहे जिसके मन में यह, 
                       ले अनुराग लगा यह मानो।।
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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