Wednesday, November 2, 2022

गणेश वंदना (विजया घनाक्षरी )



     गणेश वंदना 

गणपति गणेश जी, 
   पिताजी हैं महेश जी,
        माता जी हैं दुर्गेश्वरी,
              कर जोड़ है नमन।

भाल पर सिंदूर है,
     हाथ कमल फूल है,
           मूष पर बैठ कर, 
               करते जग गमन।

मुख में है एक दाँंत,
     और शोभे चार हाथ,
           सेवक झुकाए माथ,
               रोग को करें शमन।

बालकों को हैं तारते,
        दुख से हैं उबारते,
            बुद्धि बल निखारते,
                    सँवारते हैं चमन।
            सुजाता प्रिय समृद्धि

2 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 03 नवंबर 2022 को 'समयचक्र के साथ बदलता रहा मौसम' (चर्चा अंक 4601) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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  2. सुन्दर प्रस्तुति।

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