Friday, November 11, 2022

देश प्रेम (हरिगीतिका छंद)

देश प्रेम 

हमको अपने देश से कभी,प्यार ना मन में घटे।
किसी हाल में किसी बात से,प्रेम बादल ना छटे। ‌

देश हमारा,प्यारा जग में,मान भी जग  में बढ़े।
आजाद रहे आवाद रहे, उच्च-शिखर हरदम चढ़े।

धन-धान्य से परिपूर्ण हो, सुख-समृद्धि हरदम रहे।
हर हाल में खुशहाल हो,हर होंठ हँंसी हर पल रहे।

हर गाँव के, हर खेत में,उपजे फसल  प्रकार के।
हर वृक्ष के,हर डाल में,फल लगे हर आकार के।

मानवों को मानव के लिए,प्रेम का व्यवहार हो।
किसी हाल में किसी लोग पर,कभी न अत्याचार हो।

हर लोग में मिल्लत रहे, प्रेम सह समभाव हो।
जाति-वर्ण के वास्ते ना , कोई दुराभाव हो।

है कामना हर जन्म में,इस देश के बासी रहें।
इस पुण्य भूमि में जीएँ,इसी के अभिलाषी रहें।

                  सुजाता प्रिय समृद्धि

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