Tuesday, November 15, 2022

बढ़े चलो साथियों

बढ़े चलो साथियों

बढ़े चलो साथियों ! तुम बढ़े चलो।
निज मंजिल के रास्ते को गढ़े चलो। बढ़े चलो.....

बढ़ना ही है धर्म तुम्हारा,जल्दी-जल्दी बढ़ा कदम।
सबसे आगे बढ़ सकते हो,सोच नहीं हो किसी से कम।
पर्वत भी हो राह में,उस पर चढ़े चलो।बढ़े चलो.....

मत घबरा तू बाधाओं से,सफलता का यह साधन है।
करता चल संघर्ष सदा तो,कठिन नहीं यह जीवन है।
हिम्मत कर तूफानों से भी,लड़े चलो।बढ़े चलो.....

श्रेय पथ पर बढ़ते जाओ, अनुगामी स्वयं बनकर।
लेकर साहस दृढ़ हृदय से,विश्वास की डोर पकड़ कर।
जीवन को स्वर्णिम तीलियों से,मढ़े चलो।बढ़े चलो.....

विघ्न पराजित होंगे तेरे,दृढ़ निश्चय के आगे।
नतमस्तक होगी सफलता,जब तेरा मन जागे।
सफल जीवन का मंत्र है यह,पढ़े चलो।बढ़े चलो.....
                             सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

1 comment:

  1. कोई साथ ना मिले तो अकेले ही चलो.....पहल तो होनी ही चाहिए

    ReplyDelete