Saturday, October 1, 2022

षष्ठम देवी कात्यायनी

कात्यायनी माता(-सायली छंद)

       भक्तों 
     जनों की 
जयकार गूंँज रही 
  कात्यायनी माँ
        आईं ।

       माता 
     के मंदिर 
में देखो  कितनी 
    है खुशियांँ 
        छाईं ।

     जग 
  में विचरण 
करती हैं माता 
  होकर सिंह 
     सवार।

   चंद्रहास 
  धारण कर 
आईं हैं देखो
  हाथ लेकर 
    तलवार।

    अपने 
  सेवक को 
देती हैं माता
  बल-बुद्धि 
     ज्ञान।

    अपने 
भक्तजनों को 
माता सदा ही 
   करती  हैं 
    कल्याण।

      जो 
  जन निर्बल 
निर्धन हैं उन्हें 
  बनाती हैं 
   धनवान।

      करती
     हैं अभय 
हम सबको देकर 
    दीर्घायु का
      वरदान।

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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