Sunday, October 2, 2022

सप्तम माँ कालरात्रि



जय मां कालरात्रि

सप्तम रूप शोभिता,शुभ भाव धारिणी।
जयंती जयप्रदा तथा मां कालरूपिनी।।

कालिके,काली कालरात्रि,काल कपालिनी ।
कालिका कपालिके रकतपुष्प मालिनी।।

दुष्ट दलनकारिनी सदा ही सिंहवाहिनी।
भयं रूप भयंकरी भूतादि भयहारिणी।।

महा स्वरुप महाप्रदा गृहे-गृहे निवासिनी।
ददाति दानरूपिनी दारिद्र- दुखहारिनी।।

तंत्र-मंत्र से समस्त प्राणियों को तारिनी।
महारुपेण महाज्वला नमामि विंध्यवासिनी।।

आद्याशक्ति महाशक्ति मूलप्रकृति विश्वजननी।
त्रिगुणात्मिका ब्रह्मस्वरूप नित्य सनातिनी।।

सर्वस्वरूपा,सर्वेश्वरी,सत्य परमतेजस्वरूपिनी।
सर्वपूज्या सर्वमंगलकारी सर्वमंगल दायिनी ।।

विनय विवेक ले सदा हो कपालधारिनी।
भूत-प्रेत मिले कभी लगे उसे डरावनी।।

सर्वाबाधा विनाशिनी सर्वा,सर्वास्त्रधारिनी।
सर्वतेजोमयी माते समस्त कार्य कारिनी।।

खड़ाखड़ाती खड्ग ले खड़ी खप्पर धारिनी।
तंत्र- मंत्र धारिनी, सर्वत्र सिद्धि कारिणी।।



              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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