इंद्रधनुष
इंद्रधनुष है छाया,
मन में उमंग लाया,
सबका मन लुभाया,
देख रहे लोग हैं।
सात रंग हैं इसके,
लोग दीवाने जिसके,
थोड़ी देर में खिसके,
ये कैसा संयोग है।
जीवन में हुलास है,
मन में यही आस है,
जीवन रंग पास है,
मिटे शोक-रोग है।
जीवन में सात रंग,
चल रहा संग-संग,
भर जाएगा उमंग,
सुंदर ये भोग है।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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