Thursday, September 29, 2022

चतुर्थ देवी कूष्माण्डा माता

कुष्मांडा माता (कविता)
अष्ट भुजाओं वाली कुष्मांडा माता!
तेरी जय हो, जय हो, जय हो। 
करती है तुम सिंह सवारी माता!
तेरी जय हो,जय हो,जय हो।

चतुर्थ रूप यह तेरा मैया सब लोगों को है भाए। 
मुख मंडल पर दिव्य आलोक सदा ही सुख पहुंचाए।
उत्साह उमंग भरने वाली माता !
तेरी जय हो,जय हो, जय हो।

हाथों मैं है धनुष,बाण और गदा, चक्र।
कमंडल, कलश,कमल-पुष्प माला प्रवर। 
सबको देती वरदान तू माता ! 
तेरी जय हो,जय हो,जय हो।

विविध प्रकार फल भोग लगाएंँ हे कुष्मांडा माता।
शुद्ध मन से करें आराधना तुम ही हो सुख दाता।
मनोवांछित फल प्रदान तू करती माता।
तेरी जय हो,जय हो,जय हो ।

भक्त जनों पर सदा ही तेरी रहती कृपा दृष्टि।
तुम ही हो माँ जगत जननी रचने वाली सृष्टि।
तुम संसार चक्र चला जग प्रकाशित करती माता।
तेरी जय हो,जय हो,जय हो।

        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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