Sunday, May 15, 2022

परिवार की परिभाषा

परिवार की परिभाषा
परिवार की परिभाषा आज,
बदलती  नजर  आ  रही है।
दो,चार लोगों की गिनतियों में,
सिमटती  नजर  आ  रही है।

हम  दो- हमारे दो को ही,
परिवार  माना  जाता  है।
अन्य सभी रिस्तों को अब,
बेकार  माना   जाता   है।

दादा- दादी,नाना- माना को,
पहचानते  तक  नहीं  बच्चे।
चाचा- बुआ,मामा-मौसी को,
जानते   तक   नहीं    बच्चे।

वैसे   तो  सभी   रिस्तेदार ,
अब सबको होते  नहीं  हैं।
जिनको  ईश्वर ने  है  दिया ,
वे रिस्ते अब ढोते  नहीं  हैं।

आधुनिकता व नगरीकरण ने,
सृजित किया  एकल परिवार।
कयोंकि  संयुक्त रूप से रहना,
आज लोगों को नहीं स्वीकार।
                  सुजाता प्रिय

4 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 16 मई 2022 को 'बुद्धम् शरणम् आइए, पकड़ बुद्धि की डोर' (चर्चा अंक 4432) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. सही कहा कि आज परिवार की परिभाषा ही बदल गई है। प्रभावी अभिव्यक्ति।

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  3. सटीक अभिव्यक्ति, सुंदर,सत्य उकेरती अभिव्यक्ति दीदी।

    प्रणाम
    सादर।

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