Wednesday, November 3, 2021

आयी दिवाली


जगमग-जगमग आयी दिवाली।
बड़ी अनोखी औ बड़ी निराली।
जग से अंधेरे को दूर भगा कर-
हर जगह को रोशन करने वाली।

आओ हम मिल कर दीप जलाएं।
पंक्तियां बनाकर हम इन्हें सजाएं।
प्रेम का दीपक औ प्रीत की बाती-
प्यार का तेल दे इसको सुलगाएं।

अंधकार को हम अब दूर भगाएं।
 घर- घर में बस प्रकाश फैलाएं।
 नव उजास को भरकर जीवन में-
 सबके मन का तम को हर जाएं।

लगता दिशा -दिशा अब बढ़िया।
लरज रही हैं दीपों की लड़ियां।
आ मित्रों संग हम नाचते-गाएं-
फोड़ें पटाखें और फुलझडियां।

आओ अब खूब मिठाई खायें।
नाचें-गाएं हम औ खुशी मनायें।
वैर द्वेष को मन से विसरा कर -
सखियो -मित्रों को गले लगायें।

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

5 comments:

  1. जी सादर धन्यवाद सखी! मेरी रचना को चर्चा अंक में साझा करने के लिए।

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  2. सुंदर रचना

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद भाई ! दीपावली की अनन्त शुभकामनाएं।

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  4. हार्दिक धन्यवाद । दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  5. सभी के लिए दीप पर्व मंगलमय हो|सुंदर रचना|

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