अज्ञानता से उबार दे।
मां शारदे................
तेरे शरण में हम हैं आयें,
लेकर बहुत विश्वास मां।
तेरे चरण में सिर नवायें,
रखकर हृदय में इस मां।
मेरी मूढ़ता को दूर कर दे,
मन-ज्ञान को तू निखार दे।
मां शारदे!...................
दिल में विराजे तू सदा,
मन में बसा तेरा रूप है।
हर भाव में,हर बात में,
हर वाणी तेरा स्वरूप है।
मन-वचन को स्वच्छ रखूं,
सुंदर सदा तू विचार दे।
मां शारदे!...................
तेरे धवल वसन-स्वरूप-सा,
अंत:करण मेरा रहे।
हर जीव के खातिर हृदय में,
इंसाफ का डेरा रहे।
हर पुण्य कर्मों को करें हम,
तुम इसे विस्तार दे।
मां शारदे!....................
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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