बरगद की घनी छांव से होते हैं पिताजी।
होते हैं पिताजी। सम्मान सदा उनका करो।
हर भार अपने कांधे पे ढोते हैं पिताजी।
ढोते हैं पिताजी। सम्मान सदा उनका करो।
मां अगर है जननी, पिता भी जनक हैं।
जीवन के प्रसून में पिता से महक है।
खुशियों को हर क्यारी में बोते हैं पिताजी।
बोते हैं पिताजी। सम्मान सभी उनका करो।
मां अगर है धरती, पिता आसमान हैं।
मां अगर है आंगन पिता आलिशान हैं।
दिन-रात कड़ी मेहनत से पैसे हैं कमाते।
पाई-पाई जोड़ हमारी जरूरत हैं पुराते।
मन मार अपनी शौक को खोते हैं पिताजी।
खोते हैं पिताजी।सम्मान सदा उनका करो।
जीवन पिताजी हैं ,अपना फर्ज निभाते।
हमें पढ़ाने खातिर,हैं कितने कर्ज चुकाते।
चिंता में रात-रात,ना सोते हैं पिताजी।
ना सोते हैं पिताजी। सम्मान सदा उनका करो।
मां अगर है जननी, पिता भी जनक हैं।
ReplyDeleteजीवन के प्रसून में पिता से महक है।
खुशियों को हर क्यारी में बोते हैं पिताजी।
बोते हैं पिताजी। सम्मान सभी उनका करो।
पिता की महिमा बढाती , बहुत भावपूर्ण रचना प्रिय सुजाता जी | सच है माँ धरा है तो पिटा आसमान है |समस्त पितृसत्ता को सादर नमन |