देने वाला जब भी देता,देता छप्पर फाड़।
लेकिन लेने वाले रहते, छाती पर सदा सवार।
जल में रहकर मत करो,कभी मगर से वैर।
जान जोखिम में डालकर,रख न जल में पैर।
झूठ के पुल हैं बांधकर,यहां झूठ के पुतले।
झपट्टा मार झोली भरे,झांसे देकर निकले।
टके में तीन तरबूज बिके,टके तीन सेर फूट।
टाल-मटोल कुछ लोग करे,लोग पड़े लोग कुछ टुट।
कोई ठंडी आह भरे, हंसता कोई ठठ्ठा मार।
ठिकरा कोई फोड़ रहा,ठगा खड़ा कोई यार।
जो डंके की चोट पर करते हैं कोई काम।
अपना डंका बजा-बजा,खूब कमाते नाम।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
देने वाला जब भी देता,देता छप्पर फाड़।
ReplyDeleteलेकिन लेने वाले रहते, छाती पर सदा सवार।
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............वाह! बहुत बढ़िया है
धन्यवाद
Deleteवाह।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार भाई
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteबहुत रोचक दोहे...🙏
ReplyDeleteधन्यवाद जी
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