Saturday, May 23, 2020

आओ खा लें आज कसम

सागर को साक्षी मान सनम।    
   आओ खा लें आज कसम।                           
    अलग कभी  ना  होंगे हम।
        साथ रहें हम जनम-जनम।

इतने बरस हम साथ रहे।
   सुख-दुख को मिलकर सहे।
      चाहे दुनियाँ कुछ भी कहे।
        जलधारा-सा हम साथ बहे।

आँधी आए या फिर तुफान।
   कोरोना आए या अम्फान।
       खतरे में हो चाहे अब जान।
          आपदाओं से  हों परेशान।

एक-दूजे पर कर विश्वास।
    एक-दूजे से लेकर आस।
       एक-दूजे के रहकर पास।
         साथ-साथ लें अंतिम साँस।
         
                सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

4 comments:

  1. बहुत-बहुत धन्यबाद भाई!

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  3. आँधी आए या फिर तुफान।
    कोरोना आए या अम्फान।
    खतरे में हो चाहे अब जान।
    आपदाओं से हों परेशान।
    बहुत सुंदर सुजाता जी | यही भाव हमें विपदाओं से लड़ने की प्रेरणा देते हैं |

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