Friday, February 14, 2020

मेरी कलम

कलम मेरी मेरा हथियार।
मेरे हाथ का तेज तलवार ।

बड़ी तेज है इसकी  धार।
विफल न होता इसका वार

जब करती है यह प्रहार।
बंदूकधारी भी जाता हार।

दूर देश भेजती समाचार।
सुलझाती है हर कारोबार।

ज्ञानी इसको करते स्वीकार।
ज्ञान से यह भरती है भंडार।

जन-जन में लाती संस्कार।
मानता इसको सारा संसार।

जीवन का अनमोल उपहार।
मुझको है इस अस्त्र से प्यार।
              सुजाता प्रिय

13 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१६ -0२-२०२०) को 'तुम्हारे मेंहदी रचे हाथों में '(चर्चा अंक-१३३६) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  2. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी! मेरी रचना को' तुम्हारे मेंहदी रचे हाथ में' चर्चा अंक में साझा करने के लिए ।सादर नमन।

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  3. किताबें ही हमें इन्सान बनाती है.. वरना हर आदमी जंगली पैदा होता है.
    बहुत सुंदर लिखा है.
    आइयेगा- प्रार्थना

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद भाई।

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  4. बहुत सुन्दर सृजन ।

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  5. जीवन का अनमोल उपहार।
    मुझको है इस अस्त्र से प्यार।

    बेहतरीन अभिव्यक्ति ,सादर नमन आपको

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सादर नमन।

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  6. बहुत सुन्दर

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  7. वाह
    बहुत सुंदर सृजन

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  8. बहुत-बहुत धन्यबाद एवं आभार सर! सादर नमन।

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  9. जीवन का अनमोल उपहार।
    मुझको है इस अस्त्र से प्यार।
    कलम पर बहुत प्यारी रचना सखी। सच में हम लोग बहुत भाग्यशाली हैं जिन्हें माता शारदे ने ये अनुपम अस्त्र दिया है। सस्नेह बधाई सुजाता जी। 🙏🙏

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