Friday, September 6, 2019

उपहार है ये जिंदगी

भगवान ने दिया हमें उपहार है ये जिंदगी।
जैसे  चाहें  वैसे लें  सँवार  हम ये जिंदगी।

जिंदगी है इक सफर, हम राह तय करते चलें।
धरा से आसमान  तक उड़ान हम भरते चलें।
चाँद - तारें  छू  लें  बेकरार  है  ये जिंदगी।
भगवान ने दिया हमें उपहार है ये जिंदगी।

कंकड़ीले पंथ पर हम, शान से बढ़कर चलें।
उतार पर उतरे कभी, चढ़ाव पर चढ़ते चलें।
नेक कर्म करके हम ,सुधार  लें ये जिंदगी।
भगवान ने दिया हमें उपहार  है ये जिंदगी।

जिंदगी इंसान की , लेती सदा इम्तहान है।
टूटे न थपेड़े से जो, सच्चा  वही इंसान है।
काबिल बना,आप को,निखार ले ये जिंदगी।
भगवान ने दिया हमें  उपहार है ये जिंदगी।

समय की सूई घूमती,साथ हम चलते रहें।
पल-पल कदम मिला,दिन-रात ही चलते रहें।
छोड़ दें जो साथ तो, बेकार है ये जिंदगी।
भगवान ने दिया हमें उपहार है ये जिंदगी।

जिंदगी को फूल- सा महकाते चलें प्यार से।
रहेंगे  जिंदगी  में सदा,  मौसम  बहार  के।
किसी की न कभी आती,बार-बार है ये जिंदगी।
भगवान ने दिया  हमें उपहार है ये जिंदगी।
                             सुजाता प्रिय

8 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ९ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. मेरी रचना को सोमवारीय विशेषांक में साझा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यबाद श्वेता।प्रेमाशीष।

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  3. वाह!!सखी ,बहुत खूबसूरत सृजन ।

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    1. धन्यबाद सखी ! सादर आभार।

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  4. बहुत खूबसूरत सृजन सुजाता जी ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद बहन।

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  5. बहुत ही मनमोहक सृजन...
    समय की सूई घूमती,साथ हम चलते रहें।
    पल-पल कदम मिला,दिन-रात ही चलते रहें।
    छोड़ दें जो साथ तो, बेकार है ये जिंदगी।
    भगवान ने दिया हमें उपहार है ये जिंदगी।
    वाह!!!

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  6. जी आभार आपका सुधा जी।

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