Friday, July 12, 2019

सावन आया

मौसम बड़ा सुहावन आया।
देख सखी री सावन आया।

बादल गरज रहे अंबर से,
  झूम, झमाझम पानी बरसे,
    आँगन आज बना तालाब,
      तैराते बना कागज की नाव,
        भाव बड़ा मनभावन आया।
           देख सखी री सावन आया।

बागों में कलियाँ मुस्कायी,
  पात-पात हरियाली छायी,
    चिड़ियाँ चहकी गाना गायी,
      भौरे ने भी  तान  मिलायी,
         कृष्णा  का वृंदावन आया।
           देख सखी री सावन आया।

धानी चुनरी मन को भाई,
  माथे बिंदी- सिंदूर सजाई,
    मेंहदी  हाथों में  रचवाई,
      हरी चूड़ियाँ पहन कलाई,
        मन को यह रिझावन आया।
           देख सखी री सावन आया।

पेंग बढ़ाकर झूला झूलें,
  आसमान को जाकर छू लें,
     मन में आ मीठापन घोलें
       वैर- भाव को मन से भूलें,
         उत्तम मास है पावन आया।
           देख सखी री सावन आया।
                                   सुजाता प्रिय

3 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14 -07-2019) को "ज़ालिमों से पुकार मत करना" (चर्चा अंक- 3396) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ....
    अनीता सैनी

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  2. जी अनीता बहन नमस्ते।मेरी प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 'जालिमों की पुकार मत करना'चर्चा अंक पर करने के लिए धन्यबाद।साभार

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  3. बहुत प्यारी और सरस अभिव्यक्ति।
    मनहर सावन जैसी।।

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