Wednesday, August 28, 2024

जन्माष्टमी (मन हरण घनाक्षरी)

जन्माष्टमी (मन हरण घनाक्षरी)

अंधेरी,आधी रात में,
    भादों के बरसात में,
       शुभ दिन जन्माष्टमी,
           नाच  रहे  जन   हैं।

आये कान्हा गोद में,
   झूमों मंगल - मोद में,
        वसुदेव-देवकी का,
              पुलकित  मन  है।

विष्णु के अवतार हैं,
    करते  बेड़ा  पार हैं,
       मथुरा निवासियों का,
              खुश   चितवन  है।

कान्हा सबको तारते,
     संताप  से   उबारते,
         दीन-हीन सेवकों को,
               देते  धन - जन  हैं।

                सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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